1998 का वो साल जिसे कोई नहीं भूल सकता – सचिन तेंदुलकर

1998 – भारतीय क्रिकेट इतिहास का वो साल, जब हर बच्चा, बूढ़ा और जवान सिर्फ एक ही नाम बोल रहा था – सचिन तेंदुलकर।ये वो समय था जब मैदान पर सचिन के हर चौके और हर छक्के के साथ पूरा देश झूम उठता था। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे उस साल की, जब सचिन ने क्रिकेट को सिर्फ खेल नहीं, एक जुनून बना दिया। उनके रिकॉर्ड्स, उनकी पारियां और उनका जुनून – सबकुछ इतना शानदार था कि आज भी क्रिकेट प्रेमियों की आंखें चमक उठती हैं।

इस आर्टिकल में आपको वो सारी जानकारी मिलेगी जो बताती है कि 1998 क्यों था तेंदुलकर के करियर का सबसे खास साल। इसमें सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि वो भावनाएं भी हैं जो हर भारतीय ने उस दौर में महसूस की थीं। अगर आप जानना चाहते हैं कि सचिन को ‘क्रिकेट का भगवान’ क्यों कहा जाता है, तो ये लेख आपके लिए है। इसे अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि इसमें छुपी है भारतीय क्रिकेट की सबसे कमाल की कहानी।

जब एक कैलेंडर ईयर में सचिन ने रच दिया इतिहास

1998 में सचिन तेंदुलकर ने जो किया, वह किसी सपने से कम नहीं था। इस साल उन्होंने वनडे में 1,894 रन बनाए, जिसमें 9 शानदार शतक शामिल थे। आपको बता दें कि ये दोनों रिकॉर्ड आज भी कायम हैं। किसी अन्य बल्लेबाज़ ने एक साल में इतने शतक नहीं लगाए।

उनका औसत 65.31 रहा और स्ट्राइक रेट 102 का था, जो उस दौर के हिसाब से काफी तेज माना जाता था। यही नहीं, गेंदबाजी में भी उन्होंने 24 विकेट लिए – यानी बल्ले और गेंद दोनों से कमाल का प्रदर्शन किया।

डेज़र्ट स्टॉर्म’ से हिला दिया ऑस्ट्रेलिया

शारजाह का वो टूर्नामेंट तो शायद ही कोई भूलेगा, जब तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 143 और 134 रन की तूफानी पारियां खेलीं। इसे आज भी “डेज़र्ट स्टॉर्म” के नाम से याद किया जाता है। इन पारियों ने साबित कर दिया कि जब तेंदुलकर अपने फॉर्म में होते हैं, तो दुनिया की कोई भी टीम उन्हें रोक नहीं सकती।

कप्तानी छीनी गई, लेकिन खेल में नहीं आया कोई फर्क

आपको बता दें कि 1997 के अंत में बीसीसीआई ने बिना बताए तेंदुलकर से कप्तानी वापस ले ली। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने खेल से कभी कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ लगातार रन बनाए और टीम को जीत दिलाई।

एक ही साल में इतने मैदानों पर छोड़ी छाप

1998 में तेंदुलकर ने:

  • बांग्लादेश में पाकिस्तान के खिलाफ तूफानी पारियां खेलीं
  • कोच्चि में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 विकेट चटकाए
  • सिंगर अकाई कप में गांगुली के साथ 252 रन की रिकॉर्ड साझेदारी की
  • शारजाह, ढाका, ज़िम्बाब्वे, वेलिंगटन – हर जगह रन बरसाए

आपकी जानकारी के लिए बता दें, उस साल उन्होंने एक अनाधिकारिक मैच में वर्ल्ड इलेवन के लिए खेलते हुए 114 गेंदों पर 125 रन भी बनाए, लेकिन अफसोस कि उस मैच को वनडे का दर्जा नहीं मिला।

टेस्ट क्रिकेट में भी नहीं दिखने दी कोई कमी

अगर आप सोच रहे हैं कि यह कमाल सिर्फ वनडे तक सीमित था, तो आप गलत हैं। उन्होंने साल भर में सिर्फ 5 टेस्ट खेले, लेकिन उनमें भी 647 रन बनाए, जिसमें तीन शानदार शतक शामिल थे।विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी पारियां – 204 और नाबाद 155 – ने यह दिखा दिया कि वो सिर्फ सीमित ओवरों के खिलाड़ी नहीं, बल्कि हर फॉर्मेट के मास्टर थे।

भारत में टेलीविज़न का पहला सुपरस्टार

1990 के दशक में टीवी हर घर में पहुंच रहा था और सचिन तेंदुलकर उस दौर में हर स्क्रीन पर छाए हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय हर दूसरा विज्ञापन सचिन के साथ होता था। वो सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, हर भारतीय के दिल की धड़कन बन चुके थे।

1998 – जब तेंदुलकर ने खुद को ‘भगवान’ साबित किया

1998 सचिन तेंदुलकर के करियर का वो साल था, जब उन्होंने हर मायने में खुद को सबसे आगे साबित किया। चाहे बल्लेबाज़ी हो या गेंदबाज़ी, मैदान हो या दर्शकों का दिल – तेंदुलकर ने हर जगह राज किया।आज जब हम क्रिकेट की बात करते हैं, तो 1998 अपने आप में एक मिसाल बन चुका है। और अगर कभी आपको कोई पूछे कि तेंदुलकर को ‘भगवान’ क्यों कहते हैं, तो बस उन्हें 1998 की कहानी सुना देना – वो सब समझ जाएंगे।

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